क्या है पैनिक अटैक? किन लोगो को रहता है पैनिक अटैक होने का ज्यादा खतरा? क्या है इसका इलाज? पैनिक अटैक में ध्यान रखने योग्य बाते

क्या है पैनिक अटैक? किन लोगो को रहता है पैनिक अटैक होने का ज्यादा खतरा? क्या है इसका इलाज? पैनिक अटैक में ध्यान रखने योग्य बाते

जब से कोरोना वायरस जैसी महामारी पूरे विश्व में फैली है, तब से माहौल थोड़ा-सा अलग रहने लगा है। हर दिन कुछ न कुछ नया सुनने को मिलता रहता है, इससे लोगो के मन में चिंता और डर का माहौल उत्पन्न हो गया है। थोड़ा सा भी कुछ आसपास होता है तो लोग तुरंत उसी चीज को अपने बारे में सोचने लगते है। मन में आ जाता है कि कही मुझे भी तो ऐसी ही परेशानी नहीं


यही सोच लोगो के मन में डर और घबराहट पैदा करती है, लेकिन कुछ लोग जब लगातार इस बारे में सोचते है या इसी बात को लेकर परेशान रहते है तो उन्हें पैनिक अटैक आने की आशंका बढ़ जाती है। 


क्या है पैनिक अटैक?

पैनिक अटैक(डिसऑर्डर) एक तरह की मानसिक बीमारी होती है, जो कि किसी भी व्यक्ति में ज्यादा सोच और चिंता की वजह से होती है। जाहिर सी बात है चिंता, डर और घबराहट को जन्म देती है और डर-घबराहट की वजह से मानसिक स्थिति में बदलाव आता है। मानसिक स्थिति में बदलाव की वजह से व्यक्ति हर वक्त डरा और घबराया हुआ रहता है। कई बार उसकी मनोस्थिति ऐसी हो जाती है कि उसे हर वक्त ऐसा महसूस होता हैं कि उसके साथ कुछ होने वाला है या इस बीमारी से अब वो नहीं ठीक हो पायेगा

पैनिक अटैक से पीड़ित व्यक्ति का ह्रदय तेजी से धड़कता है। धड़कन तेज होने से पीड़ित व्यक्ति को बेचैनी और सांस लेने में परेशानी महसूस होती है, तब वह और अधिक डर जाता है और उसे लगने लगता है कि उसके साथ कुछ गड़बड़ या अनचाहा होने वाला है

किन लोगो को रहता है पैनिक अटैक होने का ज्यादा खतरा?

पैनिक अटैक अधिकांशतः उन लोगो को होता है जो बहुत ज्यादा चिंता करते है या एक ही बात या घटना के बारे में ज्यादा सोचते है या जिनके परिवार में किसी की मानसिक स्थिति ऐसी रह चुकी होती है, उनमे होने की संभावना ज्यादा होती है इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा चिंता करने और सोचने की वजह से घबराहट होना, पसीना आना, हाथ पैरों में झनझनाहट होना, सांस लेनी में परेशानी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पैनिक अटैक की अवधि दस मिनट या इससे अधिक समय तक हो सकती है और इसके लक्षण हार्ट अटैक की तरह प्रतीत हो सकते है

क्या है इसका इलाज?

पैनिक डिसऑर्डर के इलाज के लिए आप अपने खानपान में बदलाव कर सकते है। अपने डॉक्टर से सलाह लेकर कॉगनिटिव-बिहेवियरल थैरेपी ले सकते है। इस थैरेपी और दवाओं के माध्यम से पैनिक डिसऑर्डर का इलाज किया जा सकता है। दवाओं के साथ साइकोथैरेपी देने से जल्दी राहत मिलती है। इससे क्या होता है की मानव की मानसिक स्थिति में बदलाव होता है और सोचने की क्षमता में अंतर आता है

पैनिक अटैक के मरीजों को शराब और कॉफी का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योकि ये पैनिक अटैक के खतरे को और बढ़ाते है, इसके साथ ही संतुलित आहार लेना चाहिए। खाने में बदलाव करे एक ही तरह का भोजन करने से बचे। हरी सब्जियां और फलों का सेवन ज्यादा करे, ग्रीन टी पिएं। अच्छे विचार और मानसिक स्थिति में बदलाव लाने के लिए सुबह जितना हो सके मॉर्निंग वॉक करे, यादगार पलों के बारे में सोचे और परिवार के साथ उसे चर्चा करके याद करने की कोशिश करे, बच्चों के साथ समय बिताएं और खेले, व्यायाम करे। ध्यान बंटेगा तो मन विचलित नहीं होगा और पहली बार आए पैनिक अटैक को भूल हम कुछ अलग सोचेंगे जो भी गतविधियां दिनचर्या में हुई होंगी

पैनिक अटैक में ध्यान रखने योग्य बाते

1. पैनिक डिसऑर्डर के लक्षण की पहचान तब हो पाती है जब ये बार-बार आता है। ज्यादा अटैक आने पर चिंताजनक स्थिति हो सकती है। तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह ले
2. ज्यादा पैनिक अटैक आने से व्यवहार सम्बन्धी कई प्रकार की समस्याएं अचानक हो सकती है
3. दोबारा अटैक न आए इससे बचने का तरीका है कि जिस जगह या स्थिति में पहली बार आया था उस स्थिति और जगह पर दोबारा जाने से बचे 



  

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